अपने बच्चों को समझें और

उनकी हेल्प करें

1. इस बात को समझें कि आपका बच्चा आपसे भिन्न है। अपनी समझ, अपनी स्ट्रैस और अपने सपनों का बोझ उस पर मत लादें। उसे अपने सपने देखने दें ताकि उसका अपना एक लाइफ गोल हो।

2. थ्री-इडियट्स का संदेश पक्के तौर पर बच्चे के मन मे बैठा दें कि “एक्सीलेन्स के पीछे जाओ, सफलता झख मार के तुम्हारे पीछे आएगी”। इससे उसका अपनी क्षमता और मेहनत के ऊपर विश्वास बनेगा और असफलता को एक चुनौती कि तरह स्वीकार करेगा। उसे विश्वास दिलाएँ कि उसकी मेहनत हमेशा उसके साथ रहेगी और अंत मे वह विजयी ही रहेगा।

3. उसे अधिक पढ़ाई के लिए मजबूर न करे। उसकी मेहनत और लगन पर खुशी ज़ाहिर करें और उसे सेलिब्रेट करें। दूसरे बच्चों से उसकी तुलना न करें।

4. अपने बच्चे के गुणो को पहचाने और उन्हे निखारने के लिए उसे प्रोत्साहित करें। विभिन्न क्षेत्रों मे उसे अपनी प्रतिभा को आजमाने का और आप्शन्स को एक्सप्लोर करने का मौका दे ताकि वो अपना रास्ता खुद चुन सके और उसको एंजॉय भी कर सके। इस प्रक्रिया मे परिवार मे पैरेंट्स की भूमिका एक सही मार्गदर्शक, मोटीवेटर और सपोर्टर की हो तो बच्चा अधिक कॉन्फिडेंट और मल्टी-टेलेंटेड हो सकता है।

5. घर मे बातचीत का होना बहुत आवश्यक है। दिन मे एक वक्त, विशेष रूप से डिनर के समय परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठें । इस वक्त टीवी बंद रहना चाहिए। पढ़ाई को छोड़ कर अन्य विषयों पर हल्की-फुल्की बातचीत करें। इससे आप को बच्चे कि मनस्थिति के बारे मे पता चलेगा और माहौल भी खुशनुमा रहेगा।

6. अपने दोस्तों और रिशतेदारों के सामने अपनी ट्रॉफी की तरह पेश मत करें। असफलता होने पर आपको बहुत उदासी होगी इससे उसके मन इसके घाव गहरे और दुखदायी होने का डर है।

7. अगर उसकी सोच आपसे अलग है तो इसे कोई नेगेटिव लक्षण न मानें। इंडिपेंडेंस की ओर यह एक बहुत आवश्यक कदम है। उसे अपना दोस्त समझें और उस पर भरोसा करना सीखें। अगर वह अपने दोस्तों से घुलता मिलता है तो ज़्यादा रोकें नहीं। यह उसके विकास और लर्निंग के लिए ज़रूरी है।

8. किशोर अवस्था उसके बढ़ने का वक्त है। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव के चलते उसे ज़्यादा नींद की ज़रूरत है। अगर बच्चा कुछ देर ज़्यादा सोना चाहता है तो उसे सोने दे। इस बात को समझें कि अगर वह फ्रेश महसूस नहीं करेगा तो किताब ले कर बैठने का कोई फायदा नहीं होगा।

9. यदि आप चाहते हैं कि बच्चा अपने करियर के साथ ज़िंदगी मे भी सफल हो तो घर मे पारस्परिक विश्वास और एक खुलेपन का माहौल पैदा करें ताकि वह अपनी परेशानी और दुविधा आपसे शेयर कर सके और उनका हल आपकी सहायता से ढूंढ सके। अगर बच्चे को कभी असफलता मिलती है तो उसे अपने आप को हैंडल करना भी उसे पेरेंट्स ही सिखाएँगे। उसे बताएं कि यह असफलता बड़ी सफलता की ओर ले जाएगी।

10. पैरेंटस को अपनी सेहत के लिए सैर और एक्सरसाईस नियमित करनी चाहिए। इससे उनका अपना स्ट्रैस लेवल ठीक रहेगा और बच्चा भी इस ओर आकर्षित हो कर अपने आप को फिट रख सकेगा।

कुलतारन छतवाल